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एक था अगर
एक था मगर
और एक डगर
अगर खूश्बू बिखेरता
मगर प्रलोभन देता, चुपके से टूट पड़ता और खा जाता
और डगर दोनों का इम्तेहान लेता और मौका देखते ही दोनों को गिराता और चिढ़ाता
अगर था दिल का भला
दीन दुनिया को पहले ही छोड़ चुका
ना कोई आगे पीछे
ना कोई ऊपर नीचे
लोगो के भलाई के बारे में सोचता, योजना बनता और क्रियान्ववित करता
सुबह से लेकर शाम तक और शाम से लेकर सुबह तक
सुना है की बमुश्किल ६ घंटे ही सोता
पर बेईमानो को कहा बात हज़म होती
कहते की बिखेरता तो यह खुश्बू ही है पर बदन में किसके काटे ढेर सारे
दामन नहीं है पाक इसका
संन्यास नहीं लेना चाहिए था इसको
लिया तो फिर हिमालय में ही होना चाहिए था इसको
क्यों राज कर रहा हम बेईमानो को चिढ़ा चिढ़ा कर
सीने में मूंग दल दल कर
मगर कहता हम बाल विवाह का विरोध करे सो करे
पर इस सन्यासी को और घर से भगेड़ु को बाल विवाह का भी सम्मान करना चाहिए
हमने इसको इसके काम के लिए अवार्ड भी दिया सो दिया
पर इसने हमारे लिए कुछ नहीं किया
बात बात में और हमेशा सुशाशन की बात करते हुए आज तक एक टॉफी भी मुझे नहीं दिया
एक रूपए की टॉफ़ी हा एक रूपए की टॉफ़ी भी नहीं दिया
अगर कहता छोडो एक दुसरे की बुराई में टाइम बर्बाद करने
और दिमाग ख़राब करने की बजाय कुछ भलाई के काम करने की योजना बताता हु
आवागमन साधनो में बहुतेरी समस्या है देश में
तीव्रगामी ट्रेनों का जाल बिछाऊँगा
जनता को काम पैसे में हवाई जहाज की स्पीड का रोमांच दिलाऊँगा
जनता का वक़्त बचाकर देश की उन्नति में लगाउँगा
मेरे गाँव में चौबीस घंटे की बिजली देकर बात पूरी नहीं हुई
पूरे देश को अपना गाँव बनाऊंगा
बहुत हुआ महिलाओ पर अत्याचार अब और नहीं
बहुत हुआ काले धन का व्यापार अब और नहीं
बहुत हुआ गरीबो का मज़ाक अब और नहीं
बहुत हुआ बेटे और दामादों का खेल अब और नहीं
बहुत हुआ भारत का विनाश अब और नहीं
देश की सत्ता पर काबिज़ होते ही दूसरी पार्टी ही नहीं अपनी पार्टी के अपराधियो को भी रास्ता दिखलाऊँगा
जरूरत पड़ी तो सफाई के लिए झाड़ू वालो को भी काम दूंगा
बेकार नहीं बैठने दूंगा
डगर सब कुछ देखता रहा
सुनता रहा
पूरब से लेकर पश्चिम तक
और उत्तर से लेकर दक्षिण तक
अपनी भूत काल से लेकर भविष्य तक
मै बनूँगा, मै बनूँगा और मै बनूँगा
अभी तो इंतज़ार
इंतज़ार
बस इंतज़ार
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