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प्रधानमंत्री जी, अच्छे (स्वस्थ) दिन कब आएंगे

ahem ahem !
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पी म मोदी जी मै आपको आपके ही Barrack के देश के बारे में कुछ बताना चाहता हु.

On February 5, 1976, फोर्ट डिक्स में एक US आर्मी के सिपाही ने बताया की उसे थकान और कमजोरी महसूस हो रही है. दुसरे दिन उसकी मौत हो गयी और उसके चार और साथियो को बाद में हॉस्पिटल में भर्ती किया गया. उसकी मौत के दो हफ्तों बाद स्वास्थ्य अधिकारियो ने घोषणा की कि मृत्यु का कारण स्वाइन फ्लू के एक नयी स्ट्रेन थी. और H1N1 की यह नयी स्ट्रेन को एक नया नाम दिया गया था – A/New Jersey/1976 (H1N1). हैरानी की बात यह हुई की इस स्ट्रेन को जिसे अभी हाल ही में जनुअरी १९ और फ़रवरी १९ के बीच में खोजा गया था, फोर्ट डिक्स के बाहर फैलने नहीं दिया गया. स्वास्थय बिभाग ने अमेरिकी राष्ट्रपति फोर्ड से प्रार्थना की की प्रत्येक अमेरिकी नागरिक को इस बीमारी से बचाने के लिए टीका लगाया जाए. उन्होंने समस्या का समाधान केवल लम्बे लम्बे भाषण देकर नहीं किया बल्कि एक एक गाव, क़स्बा, शहर को विस्तृत रूप से quarantine किया, दवाइयों की कमी नहीं होने दी, मेडिकल इमरजेंसी घोषित की, डॉक्टर्स और स्वास्थय सुभिदाओ का प्रदान ईमानदारी से किया, सरकारी फंड्स की कमी नहीं होने दी.

हमारे देश में आधिकारित रूप से कहा गया है स्वाइन फ्लू से करीब १००० लोग मारे जा चुके है और हज़ारो लोग अभी भी बुरी तरह प्रभावित है. हालांकि कितने लोग अनाधिकारित रूप से मारे गए है और कितने प्रभावित है, इसका अनुमान हम सब लगा सकते है.

महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, MP UP समेत कई राज्य बुरी तरह स्वाइन फ़्लुए के चपेट में है.

प्रधानमंत्री जी आपके खूबसूरत और सुभिदाओ से भरे गुजरात में तो सेक्शन १४४ लागु की गयी है. महसूस करता हु की मुझे सेक्शन १४४ के बारे में ज्यादा बताने की जरूरत नहीं.

हॉस्पिटल्स में बेड्स की किल्लत है, दवाओ की कमी हर जगह है. मौत के डर से मरीजों को किस तरह अधिक वसूली और प्रताड़ित करने की न्यूज़ भी आम है. आम आदमी तो डॉक्टर्स और हॉस्पिटल्स का विरोध तो नहीं कर सकता. डरता रहा है, लूटता रहा है और डरता लूटता ही रहेगा. हर आम आदमी तो शशि थरूर भी नहीं हो सकता जिसे पत्नी की हत्या/आत्महत्या की आशंका के बावजूद पुलिस और कोर्ट की चिंता करने की जरूरत ना पड़े.

प्रधानमंत्री जी आपने बहुत सारे भाषणो में कहा की आप चाय बेचते थे या गरीब घर से वास्ता रखते है. क्या आपको अंदाज़ा है की गरीब और आम आदमी पर क्या गुजरती है जब आर्थिक तंगी की हमेशा की समस्या के बीच स्वाइन फ्लू जैसी बीमारी से सामना करना पड़ता है ? आपकी सरकार या तो बजट में बिजी है या आम आदमी पार्टी से मिली हार का मंथन चिंतन में या कभी लव जिहाद या कब घर वापसी या फिर कभी अयोध्या मंदिर मस्जिद और सब से निपल लो तो फिर आरएसएस के प्रमुख के वक्तव्य का खंडन विखंडन करने में. सैफई में शादी समारोह में तो शिरकत कर ली पर क्या किसी गरीब के दुःख दर्द का एक क्षण के लिए भी चिंतन मंथन किया ?

हमने आपको कांग्रेस मुक्त भारत दिया पर क्या हमे आपको आपका कर्तव्य बार बार याद दिलाने की आवस्यकता है. या आप अगले चुनाव से ठीक पहले ही सारे अच्छे करम जो गरीबो को लुभाते है, करेंगे ? आखिर हम गरीबो और आम आदमी की अच्छे दिन कब आएंगे ?

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