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वेश्यावृति में subject (men /women ) अपने शरीर को बेचते है या आदान प्रदान करते है
जाहिर है बदले में पैसो के लिए तो यह शुद्ध रूप से एक धंधा या व्यसाय या जीवन व्यापन का एक जरिया बनता है.
लेकिन जब subject (men /women ) केवल अपना मन या ह्रदय को बेचने या आदान प्रदान करने की कोशिश करे
तो यह वेश्यावृति ना होकर प्यार और चाहत का पर्याय बनती है या कहे रूप ले लेती है.
पर उस सूरत में क्या जब subject (men /women ) शरीर को पैसो के लिए बेचे और तो और मन भी बेचे और ध्यान देने
वाली बात है की एक ग्राहक एक subject (men /women ) नहीं बल्कि बहुतेरे हो.
यह कुछ नहीं आज के भारत की राजनीति है और गणित लगा कर पता लगाये तो इसे डबल वेश्यावृति कह सकते है.
अफजल गुरु के मुक़दमे की सुनवाई करने वाले जज ने कहा की तब क्या होता जब संसद पर हमला करने वालो ने (तथाकथित देशभक्तो के भगवान – इस ख़ास टिप्पड़ी के लिए इसी ब्लॉग पर मेरा पिछला पोस्ट पढ़े) अगर लगभग १५ सामान्य नागरिको को और सुरख्सकर्मिओ को शहीद करने की बजाय दो चार डबल वेश्यावृति (मन और तन दोनों बेचने वाले) करने वालो को भी निपटा दिया होता तो शायद ये डबल वेश्यावृति करने वाले अफजल गुरु के गुड़गान और भारत की बर्बादी और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वालो के साथ मंच शेयर करने की और उनकी पीठ थपथपाने की और उन्हें सहारा देने की हिम्मत नहीं जुटा पाते.
गौरतलब है संसद पर हमला करने वालो का मकसद भी शायद यही था. डबल वेश्यावृति करने वालो को निपटना. न की कुछ सुरक्षा कर्मियों को शहीद कर मारे जाना.
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